शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशन में 23 मई को लाखों घरों में गृहे गायत्री यज्ञ l

ll ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। l

शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशन में 23 मई को लाखों घरों में  गृहे गायत्री यज्ञ l

मोर अभनपुर

शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशन में 23 मई को लाखों घरों में गृहे गृहे गायत्री यज्ञ

गायत्री परिवार युग तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशानुसार हर वर्ष बुध्द पूणिॅमा दिन रविवार के दिन गृहे गृहे गायत्री यज्ञ का आयोजन किया गया हर वर्ष की भांति इस वर्ष किया जा रहा है। इस गृहे गृहे गायत्री यज्ञ से मानव में देवत्व का उदय एवं धरती पर स्वर्ग का अवतरण।उक्त कार्यक्रम गृहे गृहे गायत्री यज्ञ हर वर्ष बुध्द पूणिॅमा के अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार के निर्देशानुसार में किया जाता है। यह गृहे गृहे यज्ञ 23मई 2024 को सुबह 9से 12बजे तक लाखों घरों में किया जाएगा। इस यज्ञ से घर के बच्चों में संस्कार डालना और परिवारिक सुख समृद्धि की कामना के लिए किया जा रहा है। (यह यज्ञ ही संसार चक्र की धुरी है) विश्व की प्रथम एवं श्रेष्ठतम संस्कृति के माता- पिता गायत्री और यज्ञ हैं।

युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं स्नेह सलिला वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा ने अपने विचार क्रान्ति अभियान में यज्ञ को लोकशिक्षण का आधार बनाया है। व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र में छाई विकृतियों तथा मूढ़ मान्यताओं के निवारण एवं मानव मात्र में श्रेष्ठताओं के संवर्धन में विगत 70 वर्षों में गायत्री परिवार ने आशातीत सफलता पाई है।स्वच्छ मन, स्वस्थ शरीर और सभ्य समाज के निर्माण हेतु आध्यात्मिक मूल्यों के शिक्षण का सफल प्रयोग यज्ञ के माध्यम से ही सम्पन्न हुआ है। व्यक्तिगत पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में सुख, शान्ति, प्रगति एवं समृद्धि को प्राप्त करने हेतु युगऋषि ने यज्ञीय जीवन जीने की प्रेरणा दी है।यज्ञ का शाब्दिक अर्थ त्याग, परोपकार, दान, देवपूजन एवं संगतिकरण होता है। लेन-देन का यज्ञीय चक्र सारे संसार में प्रकृति में चलता दिखाई देता है। इसी कारण वेदों ने यज्ञ को भुवन की नाभि माना है।वन्दनीया माता भगवती देवी शर्मा की जन्म शताब्दी हेतु प्रारम्भ होने वाले 9 वर्षीय नवसृजन महापुरश्चरण के अंतर्गत गृहे गृहे गायत्री यज्ञ अभियान मुख्य आधार बनेगा।एक दिन एक साथ एक कालोनी अथवा ग्राम में 11, 24, 51, या 108 घरों में गायत्री यज्ञ का आयोजन इन दिनों छत्तीसगढ़ के अनेक जिलों में प्रारम्भ हुआ हैं।

यह एक अनूठा प्रयोग है, जिसे राष्ट्रव्यापी बनाने की आवश्यकता है।इसी की पूर्ति हेतु एक व्यवस्थित प्रक्रिया प्रस्तुत की जा रही है। देश के सभी शक्तिपीठ/प्रज्ञापीठ एवं मण्डल इसे प्रारम्भ कर 'मनुष्य में देवत्व एवं धरती पर स्वर्ग के अवतरण' की अवश्यंभावी प्रक्रिया को सफल बनाने में अपना योगदान जरूर प्रस्तुत करेंगे, ऐसा विश्वास है। इस गृहे गृहे गायत्री यज्ञ में गायत्री शक्ति पीठ नवापारा के सभी कार्यकर्ता अपनी समय दानकर घरों घर यज्ञ के लिए हवन सामग्री घर तक पहुंचाए । जिससे स्वयं यजमान बनकर यज्ञ जरूर कर सके।