चिन्मय दावड़ा ने प्रदेशवासियों को परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया व ईद की दी बधाई

ग्रामीण अंचलों में अक्षय तृतीया की घूम, पुतरा पुतरी के माध्यम से प्रतीकात्मक शादी का आयोजन जगह जगह

चिन्मय दावड़ा ने प्रदेशवासियों को परशुराम जयंती, अक्षय तृतीया व ईद की दी बधाई
चिन्मय फाउंडेशन संस्थापक चिन्मय दावड़ा

मोर अभनपुर 

चिन्मय फाउंडेशन के संस्थापक चिन्मय दावड़ा जी ने भगवान परशुराम जी की जयंती,अक्षय तृतीया एवं ईद के अवसर पर क्षेत्रवासियों एवम प्रदेशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है।

इस अवसर पर श्री दावड़ा जी ने कहा कि भगवान परशुराम जिन्हें विष्णु जी का छठा अवतार कहा जाता है जिनकी जयंती वैशाख माह के शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है ।अक्षय तृतीया को परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है परशुराम का तेज और शौर्य ही था कि उन्होंने कार्तवीर्य सहस्रार्जुन का वध करके अराजकता को समाप्त किया तथा नैतिकता और न्याय का साथ दिया परशुराम पृथ्वी के पाप बोझ को नष्ट करने और सभी प्रकार की बुराई को दूर करने के लिए आए थे। इस दिन से हिंदू संस्कृति के स्वर्ण युग की शुरुआत हुई है और इसे पूरे भारत में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन शुभ मुहूर्त देखे बिना ही कार्य किए जाते हैं क्योकि इस दिन को शुभ माना जाता है। परशुराम जयंती को हिंदुओं द्वारा समर्पण और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

चिन्मय दावड़ा ने आगे कहा कि अक्षय तृतीया सर्वाधिक सर्व सिद्धि योग का अवसर होता है इस दिन किये जाने वाले सभी अच्छे कार्याें का अच्छा एवं सुखद परिणाम प्राप्त होता है। उन्होंने इस अवसर पर प्रदेश वासियों के जीवन में सुख, समृद्धि, शांति, सद्भावना एवं समरसता के विस्तार की कामना की। श्री दावड़ा ने ईद-उल-फितर की बधाई देते कहा कि प्रदेश में प्रेम, सौहार्द्र और भाई-चारे के साथ ही छत्तीसगढ़ के बहुमुखी विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दें पूरे महीने अल्लाह के मोमिन बंदे अल्लाह की इबादत करते हैं और रोजा रखकर अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं । यह पर्व हमें यह सिखाता है कि-मनुष्य को इंसानियत एवं मानवता के उत्थान के लिए सदैव अपनी इच्छाओं का त्याग करना चाहिए, जिससे कि बेहतर समाज का निर्माण हो सके ।