हास्य व्यंग्य की कविताओं ने देर रात तक श्रोताओं को गुदगुदाया
नवापारा राजिम के शीतला पारा में हुआ हास्य कवि सम्मेलन
मोर अभनपुर /नवापारा
जय श्रीराम नवयुवक समिति द्वारा श्रीमद् भागवत मंच में रात्रि हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन संपन्न हुआ जिसमें कवियों ने देर रात तक अपनी कविताओं से श्रोताओं को गुदगुदाते रहें। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने श्रीमद्भगवत भगवान की पूजा अर्चना कर किया इस मौके पर कार्यक्रम में उपस्थित बतौर मुख्य अतिथि वार्ड पार्षद अजय साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा देश धर्म, अध्यात्म ,साहित्य, संस्कृति एवं आर्थिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध है। यहां का इतिहास बताता है की राजिम नवापारा में अनेक ऐसे कवि एवं साहित्यकार हुए हैं जिनकी रचनाएं आज भी जनमानस में मधुरस घोलने का काम कर रही है। शहर कभी किसी भी मायने में कम नहीं है। एल्डरमैन रामा यादव ने कहा कि काव्य में भी अलग-अलग प्रकार के रस होते हैं लेकिन कवि सम्मेलन एक ऐसा आयोजन है जहां विभिन्न रसों के कवि एक जगह एकत्रित होकर सभी रस का स्वाद दे जाते हैं। वार्ड क्रमांक 21 के द्वारा यह साहित्य का आयोजन अपने आप में बहुत ही सराहनीय है इस तरह की कवि सम्मेलन नगर में लगातार होना चाहिए। जिससे साहित्यिक माहौल बनेगा।
कार्यक्रम का संचालन चौबेबांधा राजिम से पहुंचे कवि संतोष कुमार सोनकर मंडल करते हुए शेरो शायरी से माहौल में ताजगी भर दी। व्यंग्यकार संतोष सेन वर्तमान परिवेश पर करारा चोट करते हुए पंक्ति प्रस्तुत की बानगी देखिए-बिना पराक्रम के कोई प्रतापी नहीं होता, बड़े बूढ़ों का अनुभव केवल किताबी नहीं होता। हर व्यक्ति को एक ही तराजू से मत तौलना, क्योंकि बदनाम गली जाने वाला हर कोई शराबी नहीं होता।
युवा शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने पर्यावरण की शुद्धता एवं पेड़ों के महत्व को गिनाते हुए एक से बढ़कर एक गजल के पंक्ति दिए-मुहब्बत से करेगी याद मुझको अब हर एक पीढ़ी, लगाएं पेड़ इतने हैं तुम्हारी याद में मैंने सुन सभी वाह वाह कह उठे ।ओज के कवि
टीकमचंद सेन दिवाकर ने देशभक्ति का माहौल बना दिया उन्होंने गीत के माध्यम से अपनी बात व्यक्त करते हुए कहा कि जहां गंगा यमुना की धार बहे, उस देश की धरती सूखी क्यों। सोने की चिड़िया भारत में, बच्चे नंगे भूखे क्यों?
गीतकार उमाशंकर देवांगन चांटी ने मौसमी ठंड पर छत्तीसगढ़ी में रचना देकर गर्मी भर दी। चार लाइन देखिए- ऐसो के जाड़ हर श्रृंगार होगे रे,सूरूज ह चन्दा म निसार होगे रे। कहां जाय चांटी पर दूवार,जाड़ संग में प्यार होगे रे।
हास्य एवं चुटकिलेकार गोकुल सेन ने जिंदगी की सच्चाई बताते हुए कहा कि-जिंदगी को जीना सीख, गम को मगर तू पीना सीख। अटल कर निश्चय मन में, मरुभूमि पर खिलना सीख।
नई कविता के धनी तुकाराम कंसारी संघर्ष ने चार चार लाइन की टुकड़िया देकर खूब तालियां बटोरी। उनकी पंक्ति देखिए- कोई राम में डूब जाता है, कोई श्याम में डूब जाता है। जिसे कोई सहारा नहीं मिलता, वह जाम में डूब जाता है। आभार प्रकट करते हुए पार्षद प्रतिनिधि भूपेंद्र सोनी ने शानदार प्रस्तुति के लिए कवि एवं मोहल्ले वासियों का आभार माना। इस अवसर पर उन्होंने भी देशभक्ति से लबरेज गीत प्रस्तुत किए। उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समिति के सभी सदस्यगण लगे रहे। अंत में सभी कवियों को श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर बालकृष्ण साहू, धरम साहू, हुकुम साहू, संतोष साहू, मुकेश निषाद, राहुल कंसारी, श्रवण साहू, मोहन ध्रुव,राहुल निषाद, दीपक साहू, विजय साहू सहित आयोजन समिति के सदस्यगण एवं मोहल्ले वासी काफी संख्या में उपस्थित थे।